आपने कुल्लू दशहरा के बारे में सुना होगा जिसमे 365 देवी देवताओ का आगमन होता है. लेकिन आज मैं आपको रामपुर बुशहर के देलठ गांव के दशहरे से रूबरू करवाउंगी। यूँ ही तो हिमाचल को देवी देवताओ की भूमि कहा जाता है। कोई मेला हो या त्यौहार , हर मेले में देवी देवता का आगमन होता ही है। रामपुर के बहुत कम जगह दशहरा मनाया जाता है। देलठ का दशहरा रामपुर क्षेत्र में काफी मशहूर है। ये दशहरा देवता पलथान और देवता बनवीर की आगवाही में मनाया जाता है।
इस दशहरा की शुरुआत देवता के मिलन से शुरू होता है। दोनों देवता के आशीर्वाद से शुरू इस मेले का आगाज़ देव पूजन से किया जाता है। आस पास के क्षेत्र के लोग इस त्यौहार में देव आशीर्वाद के लिए आते है। इस दशहरा में देवता के साथ साथ राम लक्ष्मण और सीता माता की पालकी भी शामिल होती है। साथ में एक स्थानीय युवक हनुमान बन कर लंका को जलाता है। ये दृश्य काफी मनोरंजक होता है।
इसके साथ साथ देवता का नृत्य मनमोहक होता है जिसको देखने के लिए लोगो का हजूम इकठा होता है। इसके बाद लोक नृत्य के साथ साथ झांकिया प्रस्तुत की जाती है। रात्रि प्रोग्रम में कई स्थानीय गायक कलाकार शिरकत करे है।
ये दशहरा लोक संस्कृति और पौराणिक संस्कृति की पहचान है। जिसे आज भी कई लोग संजोय रखने का प्रयास कर रहे है। संस्कृति को संजोय रखने वाले इस दशहरे में एक बार जरूर शिरकत करे।
इस दशहरा की शुरुआत देवता के मिलन से शुरू होता है। दोनों देवता के आशीर्वाद से शुरू इस मेले का आगाज़ देव पूजन से किया जाता है। आस पास के क्षेत्र के लोग इस त्यौहार में देव आशीर्वाद के लिए आते है। इस दशहरा में देवता के साथ साथ राम लक्ष्मण और सीता माता की पालकी भी शामिल होती है। साथ में एक स्थानीय युवक हनुमान बन कर लंका को जलाता है। ये दृश्य काफी मनोरंजक होता है।
इसके साथ साथ देवता का नृत्य मनमोहक होता है जिसको देखने के लिए लोगो का हजूम इकठा होता है। इसके बाद लोक नृत्य के साथ साथ झांकिया प्रस्तुत की जाती है। रात्रि प्रोग्रम में कई स्थानीय गायक कलाकार शिरकत करे है।
ये दशहरा लोक संस्कृति और पौराणिक संस्कृति की पहचान है। जिसे आज भी कई लोग संजोय रखने का प्रयास कर रहे है। संस्कृति को संजोय रखने वाले इस दशहरे में एक बार जरूर शिरकत करे।
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