Tuesday, December 27, 2022

रामपुर विधानसभा क्षेत्र में नई सड़कों का निर्माण व अधूरे पड़े विकास कार्यों को गति देना रहेगी प्राथमिकता - नंदलाल

रामपुर विधानसभा क्षेत्र में नई सड़कों का निर्माण व अधूरे पड़े विकास कार्यो को गति देना मेरी प्राथमिकता रहेगी. यह कहना है रामपुर के नवनिर्वाचित विधायक नंदलाल का, वे आज मंगलवार को स्थानीय सर्किट हाउस में अपने समर्थकों द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह में बोल रहे थे. बताते चलें कि विधायक नंदलाल चौथी बार चुनाव जीतने के बाद आज पहली बार अपने समर्थकों से रूबरू हुए. उन्होंने लगातार चौथी बार विधानसभा भेजने के लिए जनता का आभार जताया.
 विधायक ने सड़क निर्माण पर जोर देते हुए कहा कि सड़कें हमारी भाग्य रेखाएं हैं इस क्षेत्र में 17 सड़कों की डीपीआर जल्द तैयार की जाएगी, इनमें 9 सड़कें रामपुर क्षेत्र की हैं तथा 8 सड़कें ननखड़ी क्षेत्र में आती हैं. यह कार्य नाबार्ड के सहयोग से किया जाना है. दो सड़कों की मंजूरी आ चुकी है जिन पर जल्द काम शुरू कर दिया जाएगा. इसके अलावा ज्योरी कॉलेज भवन, ननखरी कॉलेज भवन का निर्माण भी अधूरा पड़ा है उसे जल्द पूरा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि विशेष रूप से महात्मा गांधी चिकित्सा सेवाएं परिसर खनेरी के ट्रॉमा सेंटर का कार्य जो कि भाजपा शासनकाल में ठप पड़ा रहा उसे भी जल्द शुरू किया जाएगा और जल्द से जल्द पूरा कर जनता को समर्पित किया जाएगा. 
उन्होंने रामपुर में कार्यरत विभिन्न विभागों के अधिकारियों को चेतावनी दी कि भ्रष्ट व कामचोर अधिकारी यहां पर बर्दाश्त नहीं होंगे वे समय पर अपना स्टेशन देख लें यहां पर काम करने वाले दक्ष अधिकारियों का पूरा सहयोग किया जाएगा. मौकापरस्त और चाटुकार लोग बर्दाश्त नहीं होंगे. इस मौके पर जिला परिषद शिमला अध्यक्षा चंद्रप्रभा नेगी, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष सतीश वर्मा, पवन चौहान, राहुल सोनी, केजी भारद्वाज, अनिरुद्ध सिंह बिष्ट, एनएसयूआई संगठन के पदाधिकारी आदि विशेष रुप से मौजूद रहे.

Monday, March 9, 2020

क्या फाग मेला राजनीति की भेंट चढ़ गया ?

एक ओर जहां पूरा विश्व कोरोना वायरस से डरा हुआ है वहीं भारत जैसे देश में इसका मजाक ही बना दिया है । आए दिन मीमस् के जरिए लोगो को डराया फिर यूं कहिए हसाया जाता था पर आज रामपूर में फाग न करावाने के फैसले पर तो हसीं भी नही आ रही । अगर कोरोना का इतना ही डर है तो सरकार  और जयराम जी ये बताए धर्मशाला में होने वाले मैच पर रोक क्यों नही। वहा तो कोरोना वायरस फैलने के ज्यादा संभावना है क्योकि धर्मशाला एक tourist जगह है । जहां हर दिन कई tourist आते है । और मैच में क्या रामपूर के फाग मेले से कम जनसमूह होता है या फिर ये सब बस पैसा कमाने के लिए  या यूं कहे कि फाग मेले की परंपरा तोड़ने के लिए । पहाड़ो के लोगो की देवी देवताओ के प्रति प्रेम व आस्था अभी भी कायम है । आपको अगर फैसला लेना था तो इलाके के लोगो से मशवराह तो लेते । रामपूर में दूर दूर तक कोरोना वायरस नहीं है । और अगर आप ये लोगो के हित के लिए करते तो उस हित में धर्मशाला में होने वाला मैच भी रद्द होता । परंतु ऐसा न हुआ यानि कि ये राजनीति ही है । और देवभूमि राजनिति की भेंट चढ़ गई।

Wednesday, February 19, 2020

Agony in eyes- face are smiling, Lost childhood in the fog of poverty.

The moment,  when you see a dirty looking child,  a little boy/girl with running nose, a woman with dirty clothes running to you and asking for money.
Nowadays this is a very common sight in Rampur bushar. Begging is one of the very serious issue in Rampur. The beautiful city Rampur is losing it's charm.
The number of begging child is increasing  day by day in this particular region.


When we start to find the roots of this tragedy we found some surprised reason in front of us.
The all begging children belongs to a small slum near "Dakolar". In some cases find the entire family is involved in begging. The family members keep on increasing and the children of the family are guided by their elder's to beg in crowded area, like Old bus stop,  main bazaar and some other places.
Our deep research and humbel conversation with these families concluded that the most of them come from Bihar and Jharkhand in the search of employment and work.
The elders of these groups are blacksmith and some are use to pick garbage.


But children of such family involved In begging. They do not go to school because their family income is not enough  to feed the entire family.

Here poverty is the one big reason behind begging.

Solution and personal suggestions:-
Now a days, strength of the beggar in the Rampur is increasing  at a break - neck speed. The authority must do something to address  the issue.
Only education can solve this issue. The government should provide free and good education for poor. People should be encouraged to educate their childern. More job should be created. Bagging should be banned.
People should support them for education.

In my personal opinion we all should  take suitable step to over come these social issues and bring these young minds back from this darkness.!



                                     By :- Kushant Chauhan.
   

Tuesday, October 29, 2019

रामपुर की कुछ दिलचस्प जगह , जहां एक बार आपको जरूर जाना चाहिए

रामपुर बुशहर सतलुज नदी के साथ  सटा हुआ एक क्षेत्र है।  यहां आस पास ऐसे स्थान है जो ज्यादा तर आपको  पता नहीं होंगे पर यकीन मानिये ये जगाहे बेहद  खूबसूरत है और आप सभी को एक बार इन स्थानों पर जा कर  अच्छा समय बीता सकते है।  अगले सभी blogs इसी पर होंगे।  तो  शुरू करते है -
 रामपुर में  जा कर लोग सतलुज नदी के दृश्य के लिए तरस जाते है , लेकिन easily कहीं भी आपको ऐसा स्थान नहीं मिलेगा जहां बैठ कर आप सतलुज नदी का view ले सके।  अगर आपको ये चीज़ explore करनी है तो आप रामपुर से 5 km पीछे नोगली आना पड़ेगा। 

नोगली की ख़ास  बात ये है की ये सतलुज नदी के बहुत करीब है।  साथ ही यहां आप नदी को नज़दीक से देख सकते है और नदी के करीब जा कर भी बैठ सकते है इस view point को नोगली बिच के नाम से भी जाना जाता है।  यहाँ आपको बिलकुल बिच सी feeling आएगी।  साथ ही आप नदी के आस पास पड़े पथरो पर बैठ कर नदी की आवाज़ और   व्यू  का आनंद ले सकते है। 

अगर आप कुछ पल अकेले मे भी बिताना चाहते हो तो ये place आपके लिए perfect है।
तो एक  बार जरूर यहां visit करे और सतलुज नदी के view का लुप्त उठाए। 

Monday, October 21, 2019

रामपुर में देलठ का दशहरा है काफी मशहूर , देवता पल्थान के आगमन के साथ प्रति वर्ष मनाया जाता है दशहरा

आपने कुल्लू दशहरा के  बारे में सुना होगा जिसमे 365 देवी देवताओ का आगमन होता है. लेकिन आज मैं आपको रामपुर बुशहर के देलठ गांव के  दशहरे से रूबरू करवाउंगी।  यूँ ही तो  हिमाचल को देवी देवताओ की भूमि कहा  जाता है। कोई मेला हो या त्यौहार , हर मेले में देवी देवता का आगमन होता ही है।  रामपुर के बहुत कम जगह दशहरा मनाया जाता है।  देलठ का दशहरा रामपुर क्षेत्र में काफी मशहूर है।  ये दशहरा देवता पलथान और देवता बनवीर की आगवाही में मनाया जाता है।



इस दशहरा की शुरुआत देवता के मिलन से शुरू होता है।  दोनों देवता के आशीर्वाद से शुरू इस मेले का आगाज़ देव पूजन से किया जाता  है।  आस पास के क्षेत्र के लोग इस त्यौहार में देव आशीर्वाद के लिए आते है।  इस दशहरा में देवता के साथ साथ राम लक्ष्मण और सीता माता की पालकी भी शामिल होती है। साथ में एक स्थानीय युवक हनुमान बन कर लंका को जलाता है।  ये  दृश्य काफी मनोरंजक होता है।



इसके साथ साथ देवता का नृत्य मनमोहक होता है जिसको देखने के लिए लोगो का हजूम इकठा होता है।  इसके बाद लोक नृत्य के साथ साथ झांकिया प्रस्तुत की जाती है। रात्रि प्रोग्रम में कई स्थानीय गायक कलाकार शिरकत करे है।

ये दशहरा लोक संस्कृति और पौराणिक संस्कृति की पहचान है।  जिसे आज भी कई लोग संजोय रखने का प्रयास कर रहे है।  संस्कृति को संजोय रखने वाले इस दशहरे में एक बार जरूर शिरकत करे।   

Monday, September 23, 2019

रामपुर का एक ऐसा मंदिर जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते है

वैसे तो रामपुर बुशहर की हर गली में आपको एक मंदिर जरूर दिखेगा।  लेकिन कुछ मंदिर ऐसे है जो हमारी आँखों के सामने होने के बाद भी अनदेखे  से रह जाते है। मैंने रामपुर में 4 साल व्यतीत किये लेकिन कभी जानकी माई मंदिर के बारे में न सुना न कभी देखा।  शायद बहुत से लोग न इस मंदिर को जानते है न ही इसके इतिहास को।  रामपुर बुशहर की मुख्य मार्केट से सटा ये मदिर लगभग 100 साल पुराना है।


सतलुज नदी के बिलकुल करीब बने  इस मंदिर को गुफा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।  इस मंदिर का इतिहास काफी दिलचसप है।  माना जाता है की ये मंदिर मंडी की रानी की कुलदेवी का मंदिर है।  साथ ही साथ ये भी कहा जाता है की ये मंदिर इस लिए भी प्रसिद्ध हुआ करता था क्योकि यह राजा महाराजाओ के समय का मंदिर है!


इस मंदिर में सम्पूर्ण राम दरबार मौजूद  है।  साथ ही राजा महाराजा समय काल में रानियां यहां दीप दान करने आया करती थी।  दीप दान करने के लिए रानियाँ गुफा के रास्ते से आया करती थी। इस ऐतिहासिक मंदिर की कई दिलचसप कहानिया है।

रामपुर का कभी दौरा करे तो जरूर इस मंदिर के दर्शन करे। 

Wednesday, September 18, 2019

उत्तरी भारत का एक मात्र सूर्य देव मंदिर, जिसकी नीव भगवान परशुराम ने रखी

हिमाचल प्रदेश में कई जगह ऐसी है जो ऐतिहासिक हैं और साथ ही काफी दिलचसप भी है। रामपुर बुशहर अपने आप में काफी  खूबसूरत  जगह है।  कई ऐतिहासिक जगह  को आज भी रामपुर संजोए रखा है।  रामपुर बुशहर से 18 किलो मीटर की दुरी दूरी पर एक ऐतिहासिक सूर्य मंदिर स्तिथ है और इस इस जगह का नाम है निरथ।  यह मंदिर इस लिए खास  है  क्योंकि यह मंदिर उत्तरी भारत का एक मात्र अकेला सूर्य मंदिर है जहा सूर्य देव की आराधना होती है।





  हिमाचल का निरथ गांव इसी कारण पुरे देश भर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर के गर्भ गृह में सूर्य देव की प्रतिमा है जिसमे सूर्य देव को सप्त अश्वो पर सवार दिखाया गया है। इसके साथ ही मंदिर में गणेश , शिव पार्वती और भी कई हिन्दू देवी देवताओ की प्रतिमाएँ है। इस मंदिर का इतिहास काफी  पुराना है। लोक मान्यता है की इस मंदिर की स्थापना परशुराम  ने की थी।  परशुराम अपने शिष्यों के साथ यहां विराजे थे जिसके बाद उन्होंने इस मंदिर की नीव रखी थी।  वर्तमान में इस मंदिर की बात करे तो  इस मंदिर की  दीवारे लाल रंग की की है।  जिन पर ब्रम्हा, नारायण,  गणेश की मूर्तियाँ स्तापित है।






कहा जाता है की  मंदिर नगाडा शैली से बना है और दीवारों पर शिल्प उकेरा हुआ है।  समय के साथ साथ इस मंदिर मे  बदलाव आये।  अच्छी  देख रेख  ना होने से ये मंदिर टूट फुट गया था लेकिन समय रहते स्थानीय  लोगो ने इस  ओर ध्यान दिया और अब इस मंदिर की काफी देख रेख की जा रही है


  दिसंबर मे इस स्थान पर मेले का आयोजन भी किया जाता है।  जिसमे स्थानीय देवता भी शिरकत करते है। 

Saturday, December 29, 2018

90 वर्ष बाद हुआ शांद महायज्ञ - देवता साहब पल्थान व बुशैहर राजा का आगमन

हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं की भूमि है । यहाँ कई मेले व त्यौहार ऐसे हैं, जो देवी देवताओं की प्रतिष्ठा से जुड़े हैं । कुछ त्यौहार पौराणिक काल से चलें आ रहें हैं। रामपुर उपमंडल के तहत ननखड़ी तहसील में 23-24 दिसंबर को शांद महायज्ञ का आयोजन भोड़जा घोड़ी गाँव द्वारा किया गया। यह शांद महायज्ञ 90 वर्ष बाद आयोजित किया गया । जिसमें भोड़जा घोड़ी के 380 परिवारों ने इस महोत्सव का आयोजन किया । इस शांद  महायज्ञ की अगुवाई देवता साहब पल्थान के आगमन से हुई। इस महायज्ञ में विशेष रूप से अड्डू खूंद व पूनन खूंद की उपस्थिति रही। यह खूंद शांद है ,व ऐसा माना जाता है कि यह शांद खूंद परिवारों को सम्मानित करने के लिए भी आयोजित की जाती हैं। बिना खूंद परिवार के यह शांद पूर्ण नहीं होती।
खूंद परिवार के अलावा देवता पल्थान शोली ,स्थानीय देवता नाग, देवता घ्रैत, कोट काली माता, देवता साहब लाटा की विशेष भूमिका रहीं। 23 दिसंबर को देवता साहब पल्थान के स्वागत के साथ शांद महायज्ञ प्रारंभ हुआ। तत्पश्चात खूंद अड्डू पारंपरिक बुशैहरी टोपी व तलवारों के साथ नाचते गाते पैदल जगह माटी तक पधारें। कमेटी भोड़जा घोड़ी द्वारा अड्डू खूंद  का स्वागत पारंपरिक तरीके से किया गया।
इसके पश्चात, खूंद पूनन भी कई तरह के हथियार लहराते हुए जगह माटी भोड़जा पहुँचे। देव वाद्य यंत्र की ध्वनि पूरे क्षेत्र में एक स्कारात्मक शक्ति पहुँचा रही थी। 
24 दिसंबर की प्रातः 9 बजे अड्डू खूंद व पूनन खूंद द्वारा भोड़जा घोड़ी में फेरा लगाया गया। लगभग 25,000 से 30,000 लोग इस महायज्ञ को देखने के लिए शिरक्कत हुए। विधि विधान पूर्वक शिखा पूजन करवाया गया। साथ ही साथ इस आयोजन में हि. प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री व उनकी धर्म पत्नी ने भी शिरक्कत की। उन्होनें सभी देवी - देवताओं का आर्शीवाद प्राप्त किया। साथ ही भोड़जा घोड़ी के सभी निवासियों को इस महायज्ञ की बधाई भी दी।
जनता के हित के लिए किए गए इस शांद महायज्ञ का संबंध प्राचीन काल से है। इससे पहले भोड़जा घोड़ी में 23-24 दिसंबर 1918 को शांद महायज्ञ करवाया गया था। इसके चलते इस बार भी 23-24 दिसंबर  2018 को यह महायज्ञ करवाया गया।
यह महायज्ञ जनहित के लिए करवाया गया ताकि क्षेत्र में सुख - स्मृद्धि बनी रहें तथा बुरी शक्तियों का विनाश हो। 

Friday, November 23, 2018

एक राजा जिसने हिमाचल की जनता के दिलो पर राज़ किया

यूं तो पहाड़ों में ऐसी कई शख्सियत हैं , जिनका नाम इतिहास के पन्नों में लिखा गया है। बात सुन्दरता की हो या महान पुरूषों की, पहाड़ों पर हमेशा से प्रकृति की असीम अनुकंपा रही है। हिमाचल प्रदेश में एक ऐसे महान पुरूष ने जन्म लिया ,जिन्होनें जनता के दिलो पर राज़ किया। वे है़ राजा वीरभद्र सिहं । रामपूर रियासत से ताल्लुकात रखने वाले राजा वीरभद्र सिहं राजपरिवार की 122वीं पीड़ी है। जिनका जन्म 23जून 1934 में सराहन में हुआ। वे राजा पदम सिहं व उनकी नौवीं पत्नी शान्ति देवी के पुत्र हैं।
राजा पदम सिहं अपने पुत्र वीरभद्र सिहं व राजेंद्र सिहं के साथ

राजा वीरभद्र सिहं की स्कूली शिक्षा उस समय के सबसे प्रतिष्ठित स्कूल बिशप काॅटन स्कूल से हुई। उस समय बिशप काॅटन स्कूल में केवल बड़े परिवारों के बच्चे दाखिला लिया करते थे। ऐसे में शिमला की एक रियासत का राजकुमार पढने आए तो स्कूल का नाम क्यों न बढ़े। आज की तारीख में भी बिशप कॉटज स्कूल का वह रजिस्ट्र तमाम लोगों को दिखाया जाता है जिसमें 5359 नंबर दाखिले के सामने लिखा है वीरभद्र सिहं । उसके पश्चात वीरभद्र सिहं ने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से स्नातकोत्तर किया।
इसी बीच 1954 में उनकी शादी जुब्बल की राजकुमारी रत्तनाकुमारी से हुई । उस समय राजा वीरभद्र सिहं की उम्र केवल 20 वर्ष थी।  उनका सपना था कि वे इतिहास विषय के प्रोफेसर बने। परन्तु भाग्य उन्हें लोक सेवा व जनहित कार्य के लिए पुकार रही थी। दिल्ली में ज्वाहर लाल नेहरू से उनकी मुलाकात हुई और उन्होनें समझाया कि इतिहास के प्रोफेसर बनने से अच्छा है इतिहास बनाना। उसके पश्चात 1959 में जब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कॉग्रेस की अध्यक्षा बनी तो उन्होनें राजा वीरभद्र सिहं का मार्ग दर्शन किया।
राजा वीरभद्र सिहं दिल्ली से वापिस लौट आए । 1962 में पहला लोक सभा चुनाव लड़ा व महासू सीट जीत कर राजनीतिक क्षेत्र में अपना सफर शुरू किया। 1983 में वे पहली बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बनें। उसके पश्चात 1985 से 1990 , 1993 में एक बार फिर सियासत उनके नाम रही । 1998 से 2003 व 2003 से 2007 तक हिमाचल प्रदेश की जनता ने उन्हें मुख्यमंत्री पद पर बिठाया। 2012 में फिर एक बार उन्होनें मुख्यमंत्री पद हासिल किया । वे 6 बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। 5 बार लोक सभा सदस्य व 8 बार विधायक रह चुके हैं।
हिमाचल की जनता के दिलो में आज भी राजा वीरभद्र सिहं राज करते है । उनका दूसरा विवाह रानी प्रतिभा सिहं से हुआ । राजा वीरभद्र सिहं की 5 संतान हैं।


यशवंत सिहं परमार के बाद वे एक ऐसे नेता है जिन्हें हिमाचल की जनता ने इतना प्रेम दिया है। हि.प्र. के चहुमुखी विकास में वीरभद्र सिहं का सबसे बड़ा योगदान है।


आंखों में जनहित का सपना लिए उन्होंनें पूरा जीवन राजनीतिक क्षेत्र में बीता दिया। 84 वर्ष की आयु होने के बावजूद सत्ता से उनका मोह नहीं छूटा है। वे जनता के हितों के लिय सदैव खड़ें हैं।

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Tuesday, November 20, 2018

रामपूर बुशैहर में बसा एक और बुशैहर

रामपूर बुशैहर से लगभग 36 कि. मी. दूरी पर माँ भीमाकाली के चरणों में बसा सराहन गाँव भारत वर्ष में मशहूर है । शिमला जिले व किन्नौर जिले की सीमा पर बसे इस खुबसूरत स्थान की चर्चा इतिहास के पन्नों पर भी की गई है । पौराणिक समय में यह स्थान शौणितपुर के नाम से जाना जाता था। रामपूर बुशैहर से पहले यह स्थान बुशैहर के नाम से भी जाना जाता था व बुशैहरी राजाओं की राजधानी हुआ करती थी। इससे पूर्व बुशैहरी राजा कामरू किला में वास करते थे जोकि किन्नौर जिले में  स्थित है। उसके पश्चात राजा छत्र सिहं ने सराहन को ग्रीष्म ऋतु की राजधानी धोषित किया। 1550 में राजा राम सिंह ने सराहन से अपनी राजधानी रामपूर लाई । सराहन बुशैहर का इतिहास जितना चर्चित है वास्तव में सराहन पर्यटन की दृष्टि से भी मनमोहक है । इस स्थान की खुबसूरती को माँ भीमाकाली का अत्यन्त सुन्दर मंदिर चार चाँद लगा देता है ।

 51 शक्ति पीठ में एक शक्ति पीठ सराहन में भी है ।ऐसा माना जाता है कि सत्ती के शरीर के अंगो मे से कान इस स्थान पर गिरा था । पौराणिक कथा यह भी है कि यहाँ भीमगिरि नामक संत ने काफी समय तक तपस्या की थी। उसके पास एक लाठी हुआ करती थी , जिसमें भीमाकाली को स्थापित किया गया था । तपस्या करने के बाद जब वह यहाँ से जाने लगा तो वह लाठी इतनी भारी हो गई कि उसे उठा न सका । भीमगिरि के आग्रह पर राजा ने देवी को अपनी कुलजा मानकर वहीं स्थापित कर दिया । तब से बुशैहर रियासत का राजवंश इसे अपनी कुल देवी मानने लगा। राजा देवी सिंह ने सराहन में माता के लिए सुन्दर मंदिर बनाकर परिसर में लांकड़ा वीर को भी स्थापित किया।


इसके पश्चात 1962 में नए मंदिर में मूर्ति की स्थापना की गई। मंदिर पहाड़ी स्थापत्य शैली से बनाया गया है। मंदिर के कपाट चांदी से मड़े हुए हैं। चांदी के पतरों पर हिंदु देवी - देवताओं की मूर्तियाँ बनाई गई है। मंदिर की दीवारे काठकुणी शैली में लकड़ी और पत्थर की चिनाई से की गई है । देवी की मूल प्रतिमा अभी भी पुराने मंदिर में ही स्थापित है। आम आदमी इस मूर्ति के दर्शन नहीं कर सकता। केवल राजवंश के व्यक्ति इस पुराने मंदिर में जा सकते है। तथा पूजा पाठ कर सकते है।
यहाँ से श्रीखंड कैलाश का नजारा दिखाई देता है। वर्ष भर लाखों पर्यटक यहाँ की सुन्दर वादियों का लुत्प उठाने आते है। विशेषकर मार्च से नवंबर तक का समय यहाँ धूमने के लिय बहुत सही है। क्योंकि उसके पश्चात यहाँ बर्फ पड़ जाती है और तापमान शून्य से नीचे गिर जाता है।

एक बार सराहन घूमने जरूर आए व इस स्थान के सौंदर्य का रोमांचक दृश्य देखें। www.sarahanbushahr.com

Friday, November 9, 2018

अंर्तराष्ट्रीय लवी मेला - संधि से मेले तक का सफर

मेले व त्यौहार किसी भी स्थान की संस्कृति की पहचान होती है| हिमाचल प्रदेश में कई ऐतिहासिक मेले मनाए जाते है| जो यहाँ की सभ्यता व संस्कृति को दर्शाता है| रामपुर बुशैहर में भी कई मेले व त्यौहार मनाए जाते हैं| जिसमें अंर्तराष्ट्रीय लवी मेला प्रमुख हैं !
 इतिहास को खगोला जाए तो यह मेला 300 वर्ष पुराना है| इस मेले का आरंभ तिब्बत व रामपुर की संधि से हुआ|उस समय रामपुर, तिब्बत व किन्नौर व्यापार की दृष्टि से जुड़े थे|लवी मेला में तिब्बत के साथ साथ अफगानिस्तान व उजोकिस्तान के व्यापारी कारोबार करने के लिय आते थे| वे विशेष रूप से ड्राई फ्रुट,  ऊन,पशम व भेड़-बकरियों सहित धोड़ों को लेकर आया करते थे| बदले में व्यापारी रामपुर से नमक, गुड़ औऱ अन्य राशन लेकर जाते थे| ऊन से बने उत्पादकों की खरीद -फरोख्त भी होती थी|
 राजा केहर सिहं ने तिब्बत के साथ व्यापार को लेकर संधि की थी| इस व्यापारिक मेले में किन्नौर, लाहौल स्पीति व कुल्लु से लोग पैदल चलकर आया करते थे| ग्रामीण क्षेत्रों से लोग इस मेले में पहुँच कर वर्ष भर का सामान लेकर जाया करते थे|
समय परिवर्तन हुआ और 1985में हि.  प्र.  के मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिहं ने इस मेले को अंंर्तराष्ट्रीय लवी मेला धोषित किया | उसके पश्चात व्यापारिक दृष्टि से इस मेले में काफी बदलाव आए| मेले का स्वरूप बदल चुका है|

                                                  11नवंबर से 14 नवंबर के इस लवी मेला में दूरदराज से व्यापारी आते है|इसके साथ साथ लवी मेला में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है|जिसमें देश के जाने माने कलाकार शिरकत करते है|साथ ही स्थानीय लोक- कलाकार भी भाग लेते है|11 नवंबर से शुरू होने वाले लवी मेला में केवल 1 दिन शेष है| प्रशासन द्वारा पूरी तैयारियाँ कर दी गई है| अगले blog में आपको इस वर्ष की लवी मेला का हाल बताएंगें |
stay tuned
   www.rampurbushahr.com

रामपुर विधानसभा क्षेत्र में नई सड़कों का निर्माण व अधूरे पड़े विकास कार्यों को गति देना रहेगी प्राथमिकता - नंदलाल

रामपुर विधानसभा क्षेत्र में नई सड़कों का निर्माण व अधूरे पड़े विकास कार्यो को गति देना मेरी प्राथमिकता रहेगी. यह कहना है रामपुर के नवनिर्वाच...