Monday, September 23, 2019

रामपुर का एक ऐसा मंदिर जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते है

वैसे तो रामपुर बुशहर की हर गली में आपको एक मंदिर जरूर दिखेगा।  लेकिन कुछ मंदिर ऐसे है जो हमारी आँखों के सामने होने के बाद भी अनदेखे  से रह जाते है। मैंने रामपुर में 4 साल व्यतीत किये लेकिन कभी जानकी माई मंदिर के बारे में न सुना न कभी देखा।  शायद बहुत से लोग न इस मंदिर को जानते है न ही इसके इतिहास को।  रामपुर बुशहर की मुख्य मार्केट से सटा ये मदिर लगभग 100 साल पुराना है।


सतलुज नदी के बिलकुल करीब बने  इस मंदिर को गुफा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।  इस मंदिर का इतिहास काफी दिलचसप है।  माना जाता है की ये मंदिर मंडी की रानी की कुलदेवी का मंदिर है।  साथ ही साथ ये भी कहा जाता है की ये मंदिर इस लिए भी प्रसिद्ध हुआ करता था क्योकि यह राजा महाराजाओ के समय का मंदिर है!


इस मंदिर में सम्पूर्ण राम दरबार मौजूद  है।  साथ ही राजा महाराजा समय काल में रानियां यहां दीप दान करने आया करती थी।  दीप दान करने के लिए रानियाँ गुफा के रास्ते से आया करती थी। इस ऐतिहासिक मंदिर की कई दिलचसप कहानिया है।

रामपुर का कभी दौरा करे तो जरूर इस मंदिर के दर्शन करे। 

Wednesday, September 18, 2019

उत्तरी भारत का एक मात्र सूर्य देव मंदिर, जिसकी नीव भगवान परशुराम ने रखी

हिमाचल प्रदेश में कई जगह ऐसी है जो ऐतिहासिक हैं और साथ ही काफी दिलचसप भी है। रामपुर बुशहर अपने आप में काफी  खूबसूरत  जगह है।  कई ऐतिहासिक जगह  को आज भी रामपुर संजोए रखा है।  रामपुर बुशहर से 18 किलो मीटर की दुरी दूरी पर एक ऐतिहासिक सूर्य मंदिर स्तिथ है और इस इस जगह का नाम है निरथ।  यह मंदिर इस लिए खास  है  क्योंकि यह मंदिर उत्तरी भारत का एक मात्र अकेला सूर्य मंदिर है जहा सूर्य देव की आराधना होती है।





  हिमाचल का निरथ गांव इसी कारण पुरे देश भर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर के गर्भ गृह में सूर्य देव की प्रतिमा है जिसमे सूर्य देव को सप्त अश्वो पर सवार दिखाया गया है। इसके साथ ही मंदिर में गणेश , शिव पार्वती और भी कई हिन्दू देवी देवताओ की प्रतिमाएँ है। इस मंदिर का इतिहास काफी  पुराना है। लोक मान्यता है की इस मंदिर की स्थापना परशुराम  ने की थी।  परशुराम अपने शिष्यों के साथ यहां विराजे थे जिसके बाद उन्होंने इस मंदिर की नीव रखी थी।  वर्तमान में इस मंदिर की बात करे तो  इस मंदिर की  दीवारे लाल रंग की की है।  जिन पर ब्रम्हा, नारायण,  गणेश की मूर्तियाँ स्तापित है।






कहा जाता है की  मंदिर नगाडा शैली से बना है और दीवारों पर शिल्प उकेरा हुआ है।  समय के साथ साथ इस मंदिर मे  बदलाव आये।  अच्छी  देख रेख  ना होने से ये मंदिर टूट फुट गया था लेकिन समय रहते स्थानीय  लोगो ने इस  ओर ध्यान दिया और अब इस मंदिर की काफी देख रेख की जा रही है


  दिसंबर मे इस स्थान पर मेले का आयोजन भी किया जाता है।  जिसमे स्थानीय देवता भी शिरकत करते है। 

रामपुर विधानसभा क्षेत्र में नई सड़कों का निर्माण व अधूरे पड़े विकास कार्यों को गति देना रहेगी प्राथमिकता - नंदलाल

रामपुर विधानसभा क्षेत्र में नई सड़कों का निर्माण व अधूरे पड़े विकास कार्यो को गति देना मेरी प्राथमिकता रहेगी. यह कहना है रामपुर के नवनिर्वाच...