मेले व त्यौहार किसी भी स्थान की संस्कृति की पहचान होती है| हिमाचल प्रदेश में कई ऐतिहासिक मेले मनाए जाते है| जो यहाँ की सभ्यता व संस्कृति को दर्शाता है| रामपुर बुशैहर में भी कई मेले व त्यौहार मनाए जाते हैं| जिसमें अंर्तराष्ट्रीय लवी मेला प्रमुख हैं !
इतिहास को खगोला जाए तो यह मेला 300 वर्ष पुराना है| इस मेले का आरंभ तिब्बत व रामपुर की संधि से हुआ|उस समय रामपुर, तिब्बत व किन्नौर व्यापार की दृष्टि से जुड़े थे|लवी मेला में तिब्बत के साथ साथ अफगानिस्तान व उजोकिस्तान के व्यापारी कारोबार करने के लिय आते थे| वे विशेष रूप से ड्राई फ्रुट, ऊन,पशम व भेड़-बकरियों सहित धोड़ों को लेकर आया करते थे| बदले में व्यापारी रामपुर से नमक, गुड़ औऱ अन्य राशन लेकर जाते थे| ऊन से बने उत्पादकों की खरीद -फरोख्त भी होती थी|
राजा केहर सिहं ने तिब्बत के साथ व्यापार को लेकर संधि की थी| इस व्यापारिक मेले में किन्नौर, लाहौल स्पीति व कुल्लु से लोग पैदल चलकर आया करते थे| ग्रामीण क्षेत्रों से लोग इस मेले में पहुँच कर वर्ष भर का सामान लेकर जाया करते थे|
समय परिवर्तन हुआ और 1985में हि. प्र. के मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिहं ने इस मेले को अंंर्तराष्ट्रीय लवी मेला धोषित किया | उसके पश्चात व्यापारिक दृष्टि से इस मेले में काफी बदलाव आए| मेले का स्वरूप बदल चुका है|
11नवंबर से 14 नवंबर के इस लवी मेला में दूरदराज से व्यापारी आते है|इसके साथ साथ लवी मेला में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है|जिसमें देश के जाने माने कलाकार शिरकत करते है|साथ ही स्थानीय लोक- कलाकार भी भाग लेते है|11 नवंबर से शुरू होने वाले लवी मेला में केवल 1 दिन शेष है| प्रशासन द्वारा पूरी तैयारियाँ कर दी गई है| अगले blog में आपको इस वर्ष की लवी मेला का हाल बताएंगें |
stay tuned
www.rampurbushahr.com
इतिहास को खगोला जाए तो यह मेला 300 वर्ष पुराना है| इस मेले का आरंभ तिब्बत व रामपुर की संधि से हुआ|उस समय रामपुर, तिब्बत व किन्नौर व्यापार की दृष्टि से जुड़े थे|लवी मेला में तिब्बत के साथ साथ अफगानिस्तान व उजोकिस्तान के व्यापारी कारोबार करने के लिय आते थे| वे विशेष रूप से ड्राई फ्रुट, ऊन,पशम व भेड़-बकरियों सहित धोड़ों को लेकर आया करते थे| बदले में व्यापारी रामपुर से नमक, गुड़ औऱ अन्य राशन लेकर जाते थे| ऊन से बने उत्पादकों की खरीद -फरोख्त भी होती थी|
राजा केहर सिहं ने तिब्बत के साथ व्यापार को लेकर संधि की थी| इस व्यापारिक मेले में किन्नौर, लाहौल स्पीति व कुल्लु से लोग पैदल चलकर आया करते थे| ग्रामीण क्षेत्रों से लोग इस मेले में पहुँच कर वर्ष भर का सामान लेकर जाया करते थे|
समय परिवर्तन हुआ और 1985में हि. प्र. के मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिहं ने इस मेले को अंंर्तराष्ट्रीय लवी मेला धोषित किया | उसके पश्चात व्यापारिक दृष्टि से इस मेले में काफी बदलाव आए| मेले का स्वरूप बदल चुका है|
11नवंबर से 14 नवंबर के इस लवी मेला में दूरदराज से व्यापारी आते है|इसके साथ साथ लवी मेला में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है|जिसमें देश के जाने माने कलाकार शिरकत करते है|साथ ही स्थानीय लोक- कलाकार भी भाग लेते है|11 नवंबर से शुरू होने वाले लवी मेला में केवल 1 दिन शेष है| प्रशासन द्वारा पूरी तैयारियाँ कर दी गई है| अगले blog में आपको इस वर्ष की लवी मेला का हाल बताएंगें |
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Impressive👍
ReplyDeletethanku sir
DeleteGood work..
ReplyDeletethanku
DeleteGood work kaju 👍👍👍👍
ReplyDeletethanku
DeleteNice nonu
ReplyDeletethanku
DeleteAll the very best for Career
ReplyDeletethanku
DeleteGood job
ReplyDeleteVery nyccc👌👌👌👌👌👌
ReplyDeletethanku
DeleteNice
ReplyDeletethanku
DeleteGreat job beta
ReplyDeletethanku bhiya
DeleteOsm my dear...keep it up....👉👌👌👌👌👌👌
ReplyDeletethanku
DeleteGreat Job
ReplyDeleteImpressive work done By uh Beautiful girl @Kaju 👌✌😍😘
ReplyDeletethankuu so much
DeleteGrt
ReplyDeletethanku
DeleteThis is the information i was looking for. Grt work on this matter. Keep exploring, keep growing😄😄
ReplyDeletethanku ab ...means alot
DeleteGreat..... keep it up..... God bless you.......
ReplyDeleteThanku
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