Wednesday, November 7, 2018

रामपुर बुशैहर - इतिहास राजाओं का

रामपुर बुशैहर|  मैंने नदियों से सिखा है , बस बहते रहना । राह में चाहे कितनी भी रूकावटें क्यों न हो फ़िर भी अपनी धुन में चलते रहना। सफर नामा का सफर शुरू ही हुआ है नदियों को देख कर । हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के छोटे से कस्बे रामपुर में जन्म होने के पश्चात् नदियों से प्रेम भाव व लगाव अधिक हो भी क्यों न रामपुर बसा ही सतलुज नदी के किनारे है। 
रामपुर के इतिहास की चर्चा करें तो इसकी कहानी काफ़ी बङी है।कई राजाओं नें यहाँ शासन किया। चलिए आपको विस्तारपूर्वक रामपुर के इतिहास से रूबरू करवातें हैं । 
शिमला जिला के काफ़ी पुराने स्थान रामपुर बुशैहर की स्थापना श्री कृष्ण के पुत्र प्रदयुम्न द्वारा की गई। इसके पश्चात १४१२में राजा धनबार द्वारा इस रियासत पर शासन चलाया गया । समय परिवर्तन के साथ राजपूतों ने इस रियासत पर शासन किया । 
1) राजा छतर सिहं रामपुर रियासत के 110वें राजा थे । उस समय रामपुर बुशैहर के नाम से जाना जाता था।
2) राजा कल्यान सिहं रामपुर के 112वें राजा थे।
3)113वें राजा के रूप में राजा केहरी सिहं ने शासन किया ।
4) 1708 में राजा विजय सिहं ने जन्म लिया और वह बुशैहर के 114वें राजा बने।
5) राजा उदय सिहं (1708-1725) बुशैहर के 115वें राजा बनें।
6) राजा राम सिहं (1725-1761) बुशैहर के 116वें राजा बनें।
7) (1761-1785) राजा उदार सिहं ने शासन किया ।
8) राजा उगर सिहं  बुशैहर के 118वें राजा बनें।
9)राजा महेन्द्र सिहं (1815-1850) रामपुर के शासक बनें।
10) राजा शमशेर सिहं का जन्म 1838 में हुआ । उन्होंनें (1850-1887) तक शासन किया । और ५अगस्त 1914 में मृत्यु हो गई।
11) राजा रधुनाथ सिहं ने 1887-1898 तक शासन किया। 
12) राजा पद्म सिहं का जन्म 1873 में हुआ । उन्होंनें 1914-1947 तक शासन किया । राजा पद्म सिहं की 9 पत्नियाँ थी। 
13) राजा वीभद्र सिहं का जन्म 23 जून 1934 में हुआ। 1962,1967,1972 और 1980 में वे लोक सभा के सदस्य रहें । 1983में वे पहली बार हि. प्र. के मुख्यमंत्री बनें। वे 6 बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। रामपुर बुशैहर में आज भी उन्हें राजा की मान्यता दी जाती है। 

बुशैहर रियासत में समय परिवर्तन के साथ राजाओं नें कई राज्य के साथ संधि की तिब्बत व बुशैहर की संधि लगभग 300 वर्ष पुरानी है। जिसे आज के समय में लवी मेला के नाम से जाना जाता है। पुराने समय में बुशैहर और तिब्बत के बीच घोङो व्यपार  हुआ करता था । अगले blog में आपको बुशैहर की संधि से रूबरू करवाएंगें । और लवी मेला का महत्त्व बताएगें । 
stay tund


www.rampurbushahrhistory.com

27 comments:

  1. #bushariyan_kajol_chauhan_nice_thaught

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  2. Very good kajol....
    Keep it up....

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  3. Very Nice #KAJU Keep it up buddie 👌✌😘😍😊

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  4. This comment has been removed by a blog administrator.

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  5. Great work for first step of your career

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  6. Its always good to know about past, and this blog is hitting hard on it.
    Good work.

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  7. Dear Kajal,
    I am looking for some strong evidence of Starting of Bushahr Dynasty. The story of Usha and Anirudh specially. Can you help me with that..
    I am admin Of Unmatched Bushahr https://www.facebook.com/unmatchedbushahr/
    And I am looking for strong and reliable evidenced of Bushahr's History.
    Thank you

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    Replies
    1. Sir for that you have to study some poranik books .. There are no evodence .. There are only stories told by some people and old men.. If you want to know more about this u can go through with poranic books .. Where the story of usha and pradumana is written . Thanku
      Happy blogging

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